Wednesday, July 27, 2011

दिल के ज़ज्बातों को होंठो पे ठिकाना न मिला

दिल के ज़ज्बातों को होंठो पे ठिकाना न मिला,


हर नए ज़ख्मों के बीच मुस्कुराने का बहाना ना मिला,


मेरे ही शहर के हर शख्स से मिला मै अजनबी की तरह,


आज दोस्तों की महफ़िल मे भी मुझे कोई दोस्त पुराना ना मिला,


हँसते उसके चेहरे को मै भुलाता तो भुलाता कैसे,


गम की तो लकीरें भी नहीं फिर उन्हें हांथों से मिटाता कैसे,


कितना ढूंढा दर दर जा के पर कँही वो ज़माना ना मिला,


आज दोस्तों की महफ़िल मे भी मुझे कोई दोस्त पुराना ना मिला,


तन्हाई को मेरा हाथ थमा के तू अपनी मंजिल को चला गया,


मोहब्बत मे खोना किसे कहते हैं चलो इतना तो सीखा गया,


जिस जाम मे न दिखे तेरा चेहरा मयखाने मे वो पैमाना ना मिला,


आज दोस्तों की महफ़िल मे भी मुझे कोई दोस्त पुराना ना मिला…..



Saturday, July 16, 2011

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था

बारिश की तरह बूंदों ने जब

दस्तक दी दरवाजे पर

महसूस  हुआ तुम आये हो ..

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था






हवा के हलके झोके ने जब

आहात की खिड़की पर

महसूस  हुआ  तुम  चलते हो ...

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था






मैंने बूंदों को अपने हाथ पे टपकाया तो

एक सर्द सा क्यों एहसास हुआ....

की लफ्ज़ तुम्हारे जैसा था






मैं तनहा चला जब बारिश मई

एक झोके ने मेरा साथ दिया

मई समझा तुम हो साथ मेरे

एहसास तुम्हारे जैसा था






फिर रुक गई वो बारिश भी

और रही न बाकि आहात भी

मई समझा मुझे तुम छोड़ गई...

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था.






बारिश की तरह बूंदों ने जब

दस्तक दी दरवाजे पर

महसूस हुआ तुम आये हो...

अंदाज़  तुम्हारे जैसा था.!!!!!

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है? पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ मे...