Sunday, June 26, 2011

आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ

जब से आये हो जिंदगी में मेरे


चमन को बहारो का मतलब याद आया


दिल कहे, जीवन की ये बगिया तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






पूछे है पगली, याद करते हो मुझे


कैसे कहू, हर शब्-ओ-सहर तेरी याद में डूबे है


हर वक़्त जो दिल धडके है तेरी खातिर, उसकी हर शाम तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






हर सुबह का आगाज़ तुम्ही से


हर शाम तेरे नाम से ढले


हर जाम से पहले कहू ‘बिस्मिल्लाह’,हर वो जाम तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






वो रोये है तो बरसे है बादल इधर भी


हँसे है तो खिले है फूल इधर भी


तेरी हर मुस्कराहट पर,ये मेरी जान तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ



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