Monday, February 28, 2011

क्यूँ इन नज़रों को उसका इंतज़ार आज भी है,

क्यूँ इन नज़रों को उसका इंतज़ार आज भी है,
कर दिया दिल से दूर मगर प्यार आज भी है,
उनके चेहरे से इन आँखों का रिश्ता बड़ा अजीब है ,

...
देखे किसी और को लगता वही करीब है,
...
दिल मे 1 बैचैनी साँसों मे भी उलझन सी है,
ख्वाबों मे उसकी यादें आज भी दुल्हन सी है.

ऐ दोस्त अब तेरे बिना जीना गंवारा ना होगा


ऐ दोस्त अब तेरे बिना जीना गंवारा ना होगा,
भूल जाऊं जो नाम 1 पल के लिए तुम्हारा ना होगा,
तुम भी कंही अपनी दुनिया बसाओगे फिर से,
पर हमारे बिना तुम्हारा भी गुज़ारा ना होगा.


तेरी आँखों से भी फिर से बरसातें ही होंगी,
जो तेरी आँखों के आगे ये नज़ारा ना होगा,
तेरे कानो में गुन्जेंगे ये अल्फाज़ मेरे,
इतनी आवाज़ देंगे जितना किसी ने तुझे पुकारा ना होगा.

दिल के ज़ज्बातों को कागज़ पर उड़ेलोगे तुम भी,
कांपेगी उंगलियाँ और कोई सहारा ना होगा,
जब भी मिलेगा कोई ख़त तुझे गुमनामियों मे,
ख्याल आएगा मेरा पर वो ख़त हमारा ना होगा.

जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी

जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी,
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..

जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
...
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
होली,दिवाली,जन्मदिन,नए साल पर बस SMS जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं.....

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है? पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ मे...