Wednesday, October 17, 2012

एक कविता हर माँ के नाम

घुटनों से रेंगते -रेंगते
 कब पैरो पर खड़ा हुआ,
 तेरी ममता की छाँव में,
 जाने कब बड़ा हुआ,
 कला टीका दूध मलाई,
 आज भी सब कुछ वैसा ही है,
 मै ही मै हूँ हर जगह,
 प्यार ये तेरा किस्सा है,
 सीधा-साधा, भोला-भाला,
 मै ही सबसे अच्छा हूँ,
 कितना भी हो जाऊ बड़ा ,
 "माँ !" मै आज भी तेरा बच्चा हूँ

Wednesday, August 29, 2012

हर खुशी है लोगों के दामन में

हर खुशी है लोगों के दामन में ,
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं .
माँ की लोरी का एहसास तो है ,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके ,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लए वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं .
आँखों में है नींद बड़ी ,
पर सोने का वक़्त नहीं .
दिल है घमों से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े ,
की थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसासों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नहीं .
तू ही बता इ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा ,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं ………

Sunday, August 5, 2012

केवल राजनीति को गाली देना भी बेईमानी था


केवल राजनीति को गाली देना भी बेईमानी था ....
स्वाभिमानी जो होना था वो तेवर भी अभिमानी था ....
देश की संसद में भी यारो हर कोई गद्दार नहीं ...
और अन्ना के संग में बैठा हर कोई खुद्दार नहीं
टीम अन्ना का अंतर्मन भी अन्दर-२ हिला हुआ था ...
उनमे से कोई था जो यारो दस जनपथ पर मिला हुआ था ...
मनमोहन से चले थे अन्ना , मोदी जी पर अटक गए ....
उसी समय था मुझे लगा की अन्ना हजारे भटक गए ...


जिसको देखा जिसको पाया तुमने उसको चोर कहा
देश पर जीने मरने वाले को भी आदमखोर कहा ....
मीडिया हो या नेताजी हो चाहे जिसको डांट रहे थे
ईमानदारी प्रमाण पत्र बस केवल तुम्ही बाँट रहे थे
लोकपाल के लिए चले थे , लोकपाल भी भूल गए
काले धन की बात करी , फिर काला धन भी भूल गए
कौन दिशा में चला था रथ ये कौन दिशा में मोड़ लिया ???
खुद ही अनशन पर बैठे और खुद ही अनशन तोड़ लिया !!!!

Saturday, February 4, 2012

आज ना जाने कितने दिनों के बाद

आज ना जाने कितने दिनों के बाद,
उसकी वही पुरानी पर हसीं याद,
मेरे ज़ेहन मे इस तरह समा गयी,
हर एक चेहरे मे वो अपनी तस्वीर बना गयी !
... दिल किया के रो के थोडा गम छुपा लें,
सीने मे लगी आग आंसुओं से बुझा लें,
पर कमबख्त ने आज न दिया मेरा साथ,
दिल मे लगी आग बढ़ती गयी मेरे आंसुओं के साथ !
मेरे आंसुओं पर अब न मेरा जोर था,
उसका हमदर्द हमसफ़र मै नहीं कोई और था,
रात का सन्नाटा चारों ओर था बिखरा हुआ,
पर मेरे दिल मे अब भी एक अजीब शोर था !
ये सोचते सोचते ना जाने कब मै सो गया,
ख़्वाबों मे भी चली आयी वो और मै उसी मे खो गया,
सुबह की धुप से जब खुली आँखें मेरी,
तो लगा यूँ के जैसे अब सवेरा हो गया.
अब सवेरा हो गया.....

Thursday, January 26, 2012

एक तमन्ना और सही


प्यार का ये बुखार क्यूँ चढ़ने लगा है,
उतर गया था नशा तो क्यूँ बढ़ने लगा है,
मासूमियत उसके चेहरे की क्यूँ सताने लगी है,
आज फिर से इतना प्यारा कोई क्यूँ लगने लगा है.
रातों मे उसकी हसीं याद  क्यूँ आने लगी है,
सदियों से फैली ये उदासी चेहरे से जाने लगी है,
इतना प्यारा भला कोई हो भी सकता है,
खुशियाँ शायद फिर से मुझे गले लगाने लगी है.
आँखों मे उसके अपनी तस्वीर सजाना चाहता हूँ,
खुद को उसके मुस्कान की वजह बनाना चाहता हूँ,
होंठो से भले नाम लिया हो मेरा अनजाने मे,
मे बस उसी एक पल मे खो जाना चाहता हूँ.
उसकी हर एक अदा प्यारी लगने लगी है,
दिलो दिमाग पर एक खुमारी चढ़ने लगी है,
देख के उसको सारी थकान उतर सी जाती है,
उसको हर एक पल देखने की बेकरारी बढनें लगी है.
उसकी शरारतें मेरे दिल को बहुत ही भाती हैं,
आहटें उसकी सुनकर ये हवाएं थम सी जाती है,
भीड़ मे भी वो ही वो क्यूँ दिखें मुझे,
आँखें हो बंद तो दबे पाँव ख़्वाबों मे चली आती है.
खुशबू उसकी मेरे मन को महका रही है,
नजाकत उसकी मेरे धड़कनों को बहका रही है,
जुल्फें जो बिखरा ली हैं उसने अपने कंधों पर,
जैसे चाँद को बादलों मे से ले के आ रही है.
तेरी अदाओं मे नादानी का बहाना है,
तुझे बना के ग़ज़ल अपने होंठों पे गुनगुनाना है,
तेरे साये के अहसास से ही मचल जाता हूँ मे,
वो महफ़िल कितनी खूबसूरत होगी जंहाँ तेरा जाना है.

इस रात की गुमनामियों मे कहीं खो ना जाऊं मै


इस रात की गुमनामियों मे कहीं खो ना जाऊं मै ,
यूँ ख्वाब ना दिखा कहीं ताउम्र सो ना जाऊं मै,
कुछ कतरे तेरे प्यार के दिल की गहराइयों मे जा बसे,
इन्हें हवा ना दे तेरी याद की कहीं किसी और का हो ना पाऊं मे.
जीने का मुझको हक तो दे अपनी यादें समेट ले,
या गुजार जिंदगी मेरे साथ आ मेरी बाहों मे लेट ले,
तनहाइयों मे भी खुश हूँ मै तू अपने सर ना कोई इलज़ाम ले,
बस देखने दे मुझे भी रौशनी यूँ ना अपने साए से लपेट ले ....

Wednesday, January 25, 2012

Hai Naman Unko- A Tribute to Real Indian Heroes. Dr Kumar Vishwas



है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर
इस जगत मैं शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं.
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े, पर आसमानी हो गए हैं


पिता, जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुल-वंश-माथा
माँ, वही जो दूध से इस देश जकी राज टोल आई
बहन, जिसने सावनों मैं भर लिया पतझड़ स्वयं ही
हाथ ना उलझें कलाई से जो राखी खोल लाई
बेटियाँ जो लोरियों मैं भी प्रभाती सुन रही थीं
"पिता' तुम पर गर्व है चुपचाप जा कर बोल आई
प्रिया, जिसकी चूड़ियों मैं सितारे से टूटते हैं
मांग का सिन्दूर देकर जो सितारे मोल लाई
है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे, परम तप की राजधानी हो गए हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गए हैं

हमने भेजे हैं सिकंदर सर झुकाए, मात खाए
हमसे भिड़ते हैं वे, जिनका मन, धरा से भर गया है
नरक मैं तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयान है
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला मैं क्या अजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुराणी है हमारी
उत्तरों की खोज मैं फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल-कौतुक जिनके आगे पानी-पानी हो गए हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गए हैं

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उद्घोष गीता के कथन तुमको नमन है


राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन, तुमको नमन है 


बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित, माँ के नयनं, तुमको नमन है
कंचनी-तन, चांदनी-मन, आह, आंसू, प्यार, सपने
राष्ट्र के हिट कर चले सब कुछ नमन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गए हैं   
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गए हैं

Sunday, January 8, 2012

मैं मुहब्बत हूँ ज़बानों में न बाँटों मुझ को

"इतनी नफ़रत भरे लहजे में न बोलो मुझसे ,
एक एहसास हूँ, एहसास से काटो मुझ को ,
सिर्फ लिखने के है औज़ार ये हिंदी उर्दू ,
मैं मुहब्बत हूँ ज़बानों में न बाँटों मुझ को....."

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पास रुकता भी नहीं,दिल से गुज़रता भी नहीं ,
वैसे लम्हा कोई जाया नहीं लगता मुझ को 
गाँव छोड़ा था कभी और अब यादें छूटीं ,
अब कोई शहर पराया नहीं लगता मुझ को ....

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दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे.
दिल के सब राज़ दे रहा हूँ तुम्हे.
ये ग़ज़ल, गीत सब बहाने है.
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ तुमहे.......

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है? पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ मे...