Sunday, June 26, 2011

आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ

जब से आये हो जिंदगी में मेरे


चमन को बहारो का मतलब याद आया


दिल कहे, जीवन की ये बगिया तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






पूछे है पगली, याद करते हो मुझे


कैसे कहू, हर शब्-ओ-सहर तेरी याद में डूबे है


हर वक़्त जो दिल धडके है तेरी खातिर, उसकी हर शाम तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






हर सुबह का आगाज़ तुम्ही से


हर शाम तेरे नाम से ढले


हर जाम से पहले कहू ‘बिस्मिल्लाह’,हर वो जाम तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






वो रोये है तो बरसे है बादल इधर भी


हँसे है तो खिले है फूल इधर भी


तेरी हर मुस्कराहट पर,ये मेरी जान तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ



Thursday, June 23, 2011

मै सोता रहा तेरी यादों के चराग जला कर

मै सोता रहा तेरी यादों के चराग जला कर,

लगा गयी आग एक हलकी सी हवा आ कर,

इसे मेरी बदनसीबी नहीं तो और क्या कहोगे,

प्यासा रहा मै दरि या के इतने पास जा कर,

आज जब तेरी पुरानी तस्वीरों को पलटा मैंने,

हंसती है कैसे देखो ये भी मुझे रुला कर,

किस्मत ने दिया धोखा और खो दिया तुझे,

क्या करूँगा मै अब सारा जहाँ पा कर,

दिल की गहराइयों मे कितने उतर गए हो तुम,

कोई देख भी नहीं सकता उतनी गहराइयों मे जा कर,

जब तुमने कहा मुझसे के मेरे नहीं हो तुम,

लगा जैसे मौत चली गयी हो मुझको गले लगा कर.....

Sunday, June 19, 2011

उड़ान

मंजिले उन्हें ही मिलती है जिनके सपनो में जान होती है
पंखों से कुछ नही होता, हौसलों से उड़न होती है

मंजिल तो मील ही जाएगी भटक कर ही सही
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं .....

Sunday, June 12, 2011

अब वीकएंड पर भी नहाने लगा हूं !!!

कहाँ थी कमी, और कहाँ था वक़्त, तेरे आने से पहले
तेरे चक्कर में ऐ जान-ऐ-जाना, अब काम से वक़्त चुराने लगा हूं …



ये कैसा सितम काफिर तेरा मेरे मोबाइल पर
कही बुझ न जाये ये चिराग, अब चार्जर भी साथ लेकर आने लगा हूं



आनी है दिवाली और दिल सफाई शुरू हुयी
मेरे दिल की चली न जाये बत्ती, तुझे दिल में जलाने लगा हूं



तेरे बदन से जो खुशबु महके और शमा रंगीन हो
कुछ तो भला किया तुने सनम,अब डीओडोरेंट के पैसे बचाने लगा हूं



तेरी बातो से फुर्सत कहा और तेरी यादो से वक़्त
जी भर के देखू तुझे,इसलिए अब वीकएंड पर भी नहाने लगा हूं




अब न कहना के बहुत अमीरी है तेरे मिलने में
यहाँ लुट चुका हूं मैं , बस कड़ी कोशिश से गरीबी छुपाने लगा हु



मेरी कविता इतनी फर्जी भी होगी,सोचा न था
देख तेरी मोहब्बत में मैं,क्या क्या क्या क्रेप गाने लगा हूं 

Saturday, June 11, 2011

वो बचपन की यादें आज भी तन्हाई मे खोजता हूँ मै

वो बचपन की यादें आज भी तन्हाई मे खोजता हूँ मै

गुम हो जाता हूँ खुद मे जब उसके बारे मे सोचता हूँ मै

नए साल पे दोस्तों के साथ क्या पिकनिक खूब मनाई थी

छोटे परदे पे बड़ी फ़िल्मी देख के जलेबियाँ खूब खाई थी

क्रिकेट खेलने की तो हर पल होती हमारी तैयारी थी

कितने डंडे खाए पापा चाचा से उफ़ फिर भी क्या बेकरारी थी

दोस्तों की मण्डली निकलती थी साथ साथ हर होली मे

सुबह पिचकारियों मे रंग होता शाम गुलाल भरा होता झोली मे

दशहरे की तो बात जुदा थी वो मेला कितना प्यारा था

मंदिर के पीछे चोर सिपाही,लुका-छुपी उफ़ वो वक़्त हमारा था

दीवाली के पटाखे देखकर खुशियों मे पर लग जाते थे

कर के परेशान मोहल्ले मे सबको यंहा वंहा पटाखे बहुत जलाते थे

बीता बचपन गुज़रा जमाना अब यादों में खुश हो लेने दो

न जाने क्यूँ दिल है मेरा जी भर के आज मुझे रो लेने दो...

क्यूँ इन नज़रों को उसका इंतज़ार आज भी है

Tuesday, June 7, 2011

पीने पिलाने के सब हैं बहाने

कहाँ  की  मुहब्बत  कहाँ  के  फ़साने


पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने


ख़ुशी  में   भी   पी  है


तू  ग़म  में  भी  पी  है


हैं  मस्ती  भरे  ये  मैखाने  के  पैमाने 




...पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने


सताए  न  हमको  कभी  याद  इ  माजी


चलो  भूल  जाएँ  वो  गुज़रे  ज़माने


पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने


चलो  अब  तू  गुमनाम  एस  मैखाने  से


तुम्हें  दफन  करने  हैं  सब  ग़म  पुराने


पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने ..


सब  हैं  बहाने


ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है? पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ मे...