Wednesday, November 30, 2011

New Hindi Poem By Abhishek Bajaj- क्यूँ ढूंढ़ता उस ख्वाब को

क्यूँ ढूंढ़ता उस ख्वाब को,के कौन जाने किधर गया,
जो साथ है उसे पास रख जो गुज़र गया सो गुज़र गया,
अपना समझ जिसे खुश हुआ अहसास समझ कर भूल जा,
बस नशा था थोडा प्यार का सुबह हुई तो उतर गया,
... उस शख्स का भी क्या कसूर था जो पास होकर भी दूर था,
ये तो ज़माने का दस्तूर है वो भी जमाने संग बदल गया,
ना रखना दिल मे यादों को आँखों को ना रोने देना,
झोंका था एक हवा का,आया और छु के निकल गया....
- Abhishek Bajaj

Sunday, November 20, 2011

Dr. Kumar Vishwas New Hindi Poem- Kuch Chote Sapnoo ke Badle

कुछ छोटे सपनो के बदले , बड़ी नींद का सौदा करने ,
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

वही प्यास के अनगढ़ मोती ,वही धूप की सुर्ख कहानी ,
वही आंख में घुटकर मरती ,आंसू की खुद्दार जवानी ,
... हर मोहरे की मूक विवशता ,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे , आज कौन से घर ठहरेंगे....!
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

कुछ पलकों में बंद चांदनी ,कुछ होठों में कैद तराने ,
मंजिल के गुमनाम भरोसे ,सपनो के लाचार बहाने ,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे ,
उन के भी दुर्दम्य इरादे , वीणा के स्वर पर ठहरेंगे .
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे .....!!
 - Dr. Kumar Vishwas

Wednesday, July 27, 2011

दिल के ज़ज्बातों को होंठो पे ठिकाना न मिला

दिल के ज़ज्बातों को होंठो पे ठिकाना न मिला,


हर नए ज़ख्मों के बीच मुस्कुराने का बहाना ना मिला,


मेरे ही शहर के हर शख्स से मिला मै अजनबी की तरह,


आज दोस्तों की महफ़िल मे भी मुझे कोई दोस्त पुराना ना मिला,


हँसते उसके चेहरे को मै भुलाता तो भुलाता कैसे,


गम की तो लकीरें भी नहीं फिर उन्हें हांथों से मिटाता कैसे,


कितना ढूंढा दर दर जा के पर कँही वो ज़माना ना मिला,


आज दोस्तों की महफ़िल मे भी मुझे कोई दोस्त पुराना ना मिला,


तन्हाई को मेरा हाथ थमा के तू अपनी मंजिल को चला गया,


मोहब्बत मे खोना किसे कहते हैं चलो इतना तो सीखा गया,


जिस जाम मे न दिखे तेरा चेहरा मयखाने मे वो पैमाना ना मिला,


आज दोस्तों की महफ़िल मे भी मुझे कोई दोस्त पुराना ना मिला…..



Saturday, July 16, 2011

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था

बारिश की तरह बूंदों ने जब

दस्तक दी दरवाजे पर

महसूस  हुआ तुम आये हो ..

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था






हवा के हलके झोके ने जब

आहात की खिड़की पर

महसूस  हुआ  तुम  चलते हो ...

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था






मैंने बूंदों को अपने हाथ पे टपकाया तो

एक सर्द सा क्यों एहसास हुआ....

की लफ्ज़ तुम्हारे जैसा था






मैं तनहा चला जब बारिश मई

एक झोके ने मेरा साथ दिया

मई समझा तुम हो साथ मेरे

एहसास तुम्हारे जैसा था






फिर रुक गई वो बारिश भी

और रही न बाकि आहात भी

मई समझा मुझे तुम छोड़ गई...

अंदाज़ तुम्हारे जैसा था.






बारिश की तरह बूंदों ने जब

दस्तक दी दरवाजे पर

महसूस हुआ तुम आये हो...

अंदाज़  तुम्हारे जैसा था.!!!!!

Sunday, June 26, 2011

आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ

जब से आये हो जिंदगी में मेरे


चमन को बहारो का मतलब याद आया


दिल कहे, जीवन की ये बगिया तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






पूछे है पगली, याद करते हो मुझे


कैसे कहू, हर शब्-ओ-सहर तेरी याद में डूबे है


हर वक़्त जो दिल धडके है तेरी खातिर, उसकी हर शाम तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






हर सुबह का आगाज़ तुम्ही से


हर शाम तेरे नाम से ढले


हर जाम से पहले कहू ‘बिस्मिल्लाह’,हर वो जाम तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ






वो रोये है तो बरसे है बादल इधर भी


हँसे है तो खिले है फूल इधर भी


तेरी हर मुस्कराहट पर,ये मेरी जान तेरे नाम कर दूँ


ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ



Thursday, June 23, 2011

मै सोता रहा तेरी यादों के चराग जला कर

मै सोता रहा तेरी यादों के चराग जला कर,

लगा गयी आग एक हलकी सी हवा आ कर,

इसे मेरी बदनसीबी नहीं तो और क्या कहोगे,

प्यासा रहा मै दरि या के इतने पास जा कर,

आज जब तेरी पुरानी तस्वीरों को पलटा मैंने,

हंसती है कैसे देखो ये भी मुझे रुला कर,

किस्मत ने दिया धोखा और खो दिया तुझे,

क्या करूँगा मै अब सारा जहाँ पा कर,

दिल की गहराइयों मे कितने उतर गए हो तुम,

कोई देख भी नहीं सकता उतनी गहराइयों मे जा कर,

जब तुमने कहा मुझसे के मेरे नहीं हो तुम,

लगा जैसे मौत चली गयी हो मुझको गले लगा कर.....

Sunday, June 19, 2011

उड़ान

मंजिले उन्हें ही मिलती है जिनके सपनो में जान होती है
पंखों से कुछ नही होता, हौसलों से उड़न होती है

मंजिल तो मील ही जाएगी भटक कर ही सही
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं .....

Sunday, June 12, 2011

अब वीकएंड पर भी नहाने लगा हूं !!!

कहाँ थी कमी, और कहाँ था वक़्त, तेरे आने से पहले
तेरे चक्कर में ऐ जान-ऐ-जाना, अब काम से वक़्त चुराने लगा हूं …



ये कैसा सितम काफिर तेरा मेरे मोबाइल पर
कही बुझ न जाये ये चिराग, अब चार्जर भी साथ लेकर आने लगा हूं



आनी है दिवाली और दिल सफाई शुरू हुयी
मेरे दिल की चली न जाये बत्ती, तुझे दिल में जलाने लगा हूं



तेरे बदन से जो खुशबु महके और शमा रंगीन हो
कुछ तो भला किया तुने सनम,अब डीओडोरेंट के पैसे बचाने लगा हूं



तेरी बातो से फुर्सत कहा और तेरी यादो से वक़्त
जी भर के देखू तुझे,इसलिए अब वीकएंड पर भी नहाने लगा हूं




अब न कहना के बहुत अमीरी है तेरे मिलने में
यहाँ लुट चुका हूं मैं , बस कड़ी कोशिश से गरीबी छुपाने लगा हु



मेरी कविता इतनी फर्जी भी होगी,सोचा न था
देख तेरी मोहब्बत में मैं,क्या क्या क्या क्रेप गाने लगा हूं 

Saturday, June 11, 2011

वो बचपन की यादें आज भी तन्हाई मे खोजता हूँ मै

वो बचपन की यादें आज भी तन्हाई मे खोजता हूँ मै

गुम हो जाता हूँ खुद मे जब उसके बारे मे सोचता हूँ मै

नए साल पे दोस्तों के साथ क्या पिकनिक खूब मनाई थी

छोटे परदे पे बड़ी फ़िल्मी देख के जलेबियाँ खूब खाई थी

क्रिकेट खेलने की तो हर पल होती हमारी तैयारी थी

कितने डंडे खाए पापा चाचा से उफ़ फिर भी क्या बेकरारी थी

दोस्तों की मण्डली निकलती थी साथ साथ हर होली मे

सुबह पिचकारियों मे रंग होता शाम गुलाल भरा होता झोली मे

दशहरे की तो बात जुदा थी वो मेला कितना प्यारा था

मंदिर के पीछे चोर सिपाही,लुका-छुपी उफ़ वो वक़्त हमारा था

दीवाली के पटाखे देखकर खुशियों मे पर लग जाते थे

कर के परेशान मोहल्ले मे सबको यंहा वंहा पटाखे बहुत जलाते थे

बीता बचपन गुज़रा जमाना अब यादों में खुश हो लेने दो

न जाने क्यूँ दिल है मेरा जी भर के आज मुझे रो लेने दो...

क्यूँ इन नज़रों को उसका इंतज़ार आज भी है

Tuesday, June 7, 2011

पीने पिलाने के सब हैं बहाने

कहाँ  की  मुहब्बत  कहाँ  के  फ़साने


पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने


ख़ुशी  में   भी   पी  है


तू  ग़म  में  भी  पी  है


हैं  मस्ती  भरे  ये  मैखाने  के  पैमाने 




...पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने


सताए  न  हमको  कभी  याद  इ  माजी


चलो  भूल  जाएँ  वो  गुज़रे  ज़माने


पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने


चलो  अब  तू  गुमनाम  एस  मैखाने  से


तुम्हें  दफन  करने  हैं  सब  ग़म  पुराने


पीने  पिलाने  के  सब  हैं  बहाने ..


सब  हैं  बहाने


Friday, May 6, 2011

काश मै तुम्हे अपने गीत सुना पाता

काश मै तुम्हे अपने गीत सुना पाता,

काश मै तेरी बांहों मे आ पाता,

काश मै तेरे होंठों से निकली हर बात बन जाता,

काश मै तेरी आँखों से गुजरी हर रात बन जाता,

काश मै तेरे दिल मे तेरे धड़कन की तरह रहता,

काश मै तेरी यादों मे तेरे साजन की तरह रहता,

काश मै तेरी हर जरूरत की तरह होता,

काश मै तेरे आईने मे तेरी सूरत की तरह होता,

काश मै तेरे केशों मे लगे गुलाब की तरह होता,

काश मै तेरे नींदों मे आये ख्वाब की तरह होता,

पर ये हो न सका और तू मुझसे जुदा हो गया,

और मेरे गीतों मे वफ़ा की जगह बेवफा हो गया..



पर अब सोचता हूँ.............

काश के मेरे गीतों मे फिर तू समां जाये,

काश के आवाज़ दूँ तुझको और तू आये,

मिले कुछ इस तरह के फिर न जुदा हो,

और मेरे गीतों मे वफ़ा की जगह वफ़ा हो,

वफ़ा हो , वफ़ा हो..........................



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Monday, April 4, 2011

फिर भी दिल को उसके लिए बेक...अरार क्यूँ करता हूँ

यंहा  उसका  मेरा  होना  मुमकिन  ही  नहीं,

फिर  भी  उससे  प्यार  क्यूँ  करता  हूँ,

जिन  राहों  पर  बन  नहीं  सकते  उसके पावों  के निसान,

उनपर  पलकें  बिछाये  उसका  इन्तेजार  क्यूँ  करता  हूँ,

उससे  मेरे  प्यार  का  किसी  से  इज़हार  ना कर  पाऊ,

फिर  बार  बार  खुद  से  ये  इकरार  क्यूँ  करता  हूँ,

और  उसे  भी   इल्म  ना होगा  मेरे  प्यार  का, 

फिर  भी  दिल  को  उसके लिए  बेक...अरार  क्यूँ  करता  हूँ.



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Monday, March 28, 2011

आइना भी तेरे दीदार से इतरा रहा है

आइना भी तेरे दीदार से इतरा रहा है,
वो खुद को इस ज़माने मे सबसे हसीं पा रहा है,
वो नादान तो इतना भी नहीं समझता ,
...तेरा रूप उसे इतना हसीं बना रहा है....
Hindi Poem

Tuesday, March 15, 2011

क्यूँ ढूंढता उस ख्वाब को के कौन जाने किधर गया

Hindi Poem
 
क्यूँ ढूंढता उस ख्वाब को के कौन जाने किधर गया
जो पास है उसे साथ रख जो गुज़र गया सो गुज़र गया
अपना समझ जिसे खुश हुआ अहसास समझ कर भूल जा
बस नशा था थोड़ा प्यार का सुबह हुई तो उतर गया

...उस शख्स का भी क्या कसूर था जो पास होकर भी दूर था
ये तो ज़माने का दस्तूर है वो भी ज़माने संग बदल गया
न रखना दिल मे यादों को और ना आँखों को रोने देना
झोंका था बस एक हवा का आया और छु के निकल गया

Monday, February 28, 2011

क्यूँ इन नज़रों को उसका इंतज़ार आज भी है,

क्यूँ इन नज़रों को उसका इंतज़ार आज भी है,
कर दिया दिल से दूर मगर प्यार आज भी है,
उनके चेहरे से इन आँखों का रिश्ता बड़ा अजीब है ,

...
देखे किसी और को लगता वही करीब है,
...
दिल मे 1 बैचैनी साँसों मे भी उलझन सी है,
ख्वाबों मे उसकी यादें आज भी दुल्हन सी है.

ऐ दोस्त अब तेरे बिना जीना गंवारा ना होगा


ऐ दोस्त अब तेरे बिना जीना गंवारा ना होगा,
भूल जाऊं जो नाम 1 पल के लिए तुम्हारा ना होगा,
तुम भी कंही अपनी दुनिया बसाओगे फिर से,
पर हमारे बिना तुम्हारा भी गुज़ारा ना होगा.


तेरी आँखों से भी फिर से बरसातें ही होंगी,
जो तेरी आँखों के आगे ये नज़ारा ना होगा,
तेरे कानो में गुन्जेंगे ये अल्फाज़ मेरे,
इतनी आवाज़ देंगे जितना किसी ने तुझे पुकारा ना होगा.

दिल के ज़ज्बातों को कागज़ पर उड़ेलोगे तुम भी,
कांपेगी उंगलियाँ और कोई सहारा ना होगा,
जब भी मिलेगा कोई ख़त तुझे गुमनामियों मे,
ख्याल आएगा मेरा पर वो ख़त हमारा ना होगा.

जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी

जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी,
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..

जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
...
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
होली,दिवाली,जन्मदिन,नए साल पर बस SMS जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं.....

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है? पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ मे...