Monday, February 28, 2011

जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी

जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी,
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..

जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
...
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
होली,दिवाली,जन्मदिन,नए साल पर बस SMS जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं.....

4 comments:

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है? पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ मे...